Not known Facts About bhairav kavach

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सिद्धिं ददाति सा तुष्टा कृत्वा कवचमुत्तमम् ।



 



चतुवर्गप्रदं नित्यं स्वयं देवप्रकाशितम् । (

धारयेत्पाठयेद्धपि संपठेद्वापि नित्यशः।।

आयुर्विद्या यशो धर्मं बलं चैव न संशयः ।

सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः

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कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।

मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गजस्तथा

अनेन पठनाद् देवि विघ्ननाशो यथा भवेत् ॥ click here २१॥

कालीपार्श्वस्थितो देवः सर्वदा पातु मे मुखे ॥ २३॥

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